कसमोकी रस्मोको नहीं समजा हमने ,
हमने तो प्यारकी सच्चाई पर यकीं किया सदा .......
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बहते जलकी धारा
हथेलीको भीगो जाती है ,
ना रहता हो निशाँ साहिल पर मौजोंका
फिर भी किनारेकी भीगी रेत
तेरे आनेकी दास्ताँ बयां कर जाती है ....
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जाकर आज हाथ थाम लेते है उनका
बहुत अकेले हो गए है दिल टूट जाने के बाद ,
उनके आंसू को दामनसे अपने सुखा देंगे ,
क्योंकि हम तो कायल रहे उनकी मुस्कानके सदा से ...
सही भाव हैं.
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