देखो -टटोला फिर भी आज नहीं मिला ,
कमबखत ये दिलवा भी आज जिसम छोड़ कहाँ चल दिया ....
इधर ढूंढें उधर ढूंढें फिर सोचा क्या ये भी अपने ससुराल गया ????
तभी चटखनी खटकी और दरवाजा खुला .....
वो हमें हाथमें एक चिठ्ठी थमा कर चली गयी ,
हाथमें हमें हमारी अपनी ही दवात छोड़ गयी ....
उस दवात में हमें धड़कने की आवाज आने लगी ,
ये लो ढूंढ रहे थे बड़ी सुबह ये दिल भी दवातमें कैद था ,
देखो उनके छूते ही ये दवात को धड़काने लगा .....
कमबखत ये दिलवा भी आज जिसम छोड़ कहाँ चल दिया ....
जवाब देंहटाएंशब्दों का सुंदर प्रयोग!
behtreennnnnnnn
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