फूलोंसे खेलते हुए कुछ अनमना हुआ है मन ,
चलो इन काँटोंको चुनकर हथेली सजा लेते है ,
खूंकी बूंद भी चमक जाए उस पर तो
हाथों पर कुछ लालिमा आ जाएगी .....
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तेरी मांग सितारोंसे भरने का वादा ना कर पाउँगा ,
जमीं का एक अदनासा इंसान हूँ ,
तुमसे बस प्यार कर पाऊंगा ,
बिना कोई मिलावट किये ....
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तुम्हें यकीं ना होगा मेरी मोहब्बत पर
कुछ गिला नहीं ,
हर दिलकी किस्मत
मिलनेकी रेखा हाथ में लिए नहीं आती ये हम जानते है ......
एक भंवरे को
जवाब देंहटाएंकैक्टस पर मंडराते
देखा ..........
यकीं हो गया
काँटों में भी रस है
कांटे भी हथेली पर सजाये जा सकते है....
बहूत खूब .....
very nice picture. i like it
जवाब देंहटाएंदिलचस्प, भाषिक बेफिक्री, अनुभवों की सांद्रता।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचनाये. बधाई .
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