17 जनवरी 2010

लिख ना पाए तक़दीर ....

आज तक़दीरने मेरे हाथोंमें कलम दवात थमा दी

कहा लिख ले अपनी किस्मत खुद ही खुद को आजमाकर ,

लिखती गयी मिटाती गयी ,

कागज़ कोरा ही कर दिया फिर सुपुर्द उसके ,

गर जान लुंगी खुद तक़दीर तो जीने का मज़ा खत्म हो जाएगा ,

तु लिखती जा मुझे बिन बताये जो भी लिख सके.....

कुछ तु अजमा ले हमको कुछ हम तुम्हे भी आजमाएंगे ....

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