किसीके इंतज़ार में थमे थे कदम उस मोड़ पर अब तक ,
वो गया था कहीं दूर पर सदायें उसकी जैसे आ रही थी ....
लगता था जैसे अभी भी मुझे बुला रही थी ,
पर मेरी आवाज़ शायद मेरे हलकमें ही डूब जा रही थी ......
मेरी जिंदगी क्यों रुक जाए इस मुकाम पर ये सवाल
मैंने ख़ुद ही ख़ुद से जब पूछ डाला :
तो एक हैरतअंगेज सा जवाब पाया मैंने ....
गलती तो जनाब आप ही कर गए हो ,
चलने वाले तो चले गए अपनी मंजिल की तलाश में ,
और आप ही दीवानावार बने यहीं पर क्यो रुके रहे ?
तुम्हारी भी तलाश है किसी मंज़र पर किसी मोड़ पर खड़ी मंजिल को भी ,
जब तक नहीं चलोगे दीवाने कैसे पाओगे उसे कभी ?
ये भी कहीं कभी हो जाए जिसकी तलाशमें रुके हो यहाँ
उस मोड़ पर वो भी तुम्हारे इंतज़ारमें खड़ा मिल जाए !!!!!!!!!!!!!!!!!
बिल्कुल अलग अंदाज में लिखी गई रचना
जवाब देंहटाएंsahi hai hum wahi khade reh jate hai,jaanewali ki deewangi mein,wo shayad aage kahi mil jaye,sunder nazm.
जवाब देंहटाएंलाजवाब है.
जवाब देंहटाएंआम रचनाओं से हट्कर अच्छी रचना है.
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