मेरी जिंदगी है संगेमरमर का टुकड़ा ,
पास है हथौड़ी और छिनी भी ,
तराशने की आज़ादी भी ,
चलो बनाते है एक मूरत बिल्कुल सादी सीधी सी
जो लगे मेरे ख्यालोंके अक्स सी .....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...
क्या बात है।
जवाब देंहटाएंमजा आ गया।
जिसपर हमको है नाज़, उसका जन्मदिवस है आज।
कोमा में पडी़ बलात्कार पीडिता को चाहिए मृत्यु का अधिकार।
बहुत खूब।
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