मुझे क्यों हो किसीसे कोई शिकवा गिला ?
किसीने तो नहीं माना मुझे अपना !!!
ठंडी हवा के झोंकेमें साथ चले सब मेरे ,
बस रेगिस्तानकी कड़ी धूपमें तनहा छोड़ चले !!!!!
अकेले आए थे इस दुनिया में और अकेले ही तो जाना है ,
जानते है मानते है फ़िर भी इस दुनिया में ,
जय वीरू और हीर रान्ज़े के अफ़साने है !!!!!
देखा नहीं ख़ुद को कभी न परखने का वक्त मिला खुदको ,
वरना न ये गिले होते न शिकवे क्यों हम रह गए तनहा से !!!!
ख़ुद ही ख़ुद का मसीहा बनकर देख जरा ,
न नजर आएगा फ़िर तू यूँ डरा डरा ...!!!
bahut khoob.......bahut sundar bhav.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा । बधाई स्वीकारें।
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