ख्वाबगाह पर एक अटारी है ,
वहां एक शाख आई अरमानों की ,
ख्वाहिशोंके फूल भी खिलने को थे ,
माँने आवाज़ देकर जगा दिया
चलो बेटे सुबह हो गई !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
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कई सितमसे गुजर चुके ,
रहमोकरमकी ख्वाहिश न थी ,
हर ज़ख्म लगा था एक कुमुदसा ,
क्योंकि ये तो प्यार की कशिश थी .....
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एक पल रूककर हाथमें हाथ ले लिया ,
खामोश हमारी नज़रोंने इजहारे मोहब्बत भी कर लिया ....
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