3 नवंबर 2009

इल्तजा ......

जिंदगी तुम मुझसे जुदा ना होना ....
जिंदगी तुम मुझसे खफा ना होना ....
जिंदगी तुम मेरे करीब ही रहना हर पल .....
जिंदगी तुम मेरे मरने के बाद भी जिन्दा रहना .....
अकेले तो सफर तय नहीं किया किसीने कभी ,
पल दो पल का हो या हो उम्रभरके लिए ,
हमसफ़र मेरे साथ चले हरदम अय जिंदगी तेरी राहों पर ....
कभी नर्म फूलों की बिसात मिली कदम कदम पर ,
कभी जल गई एडियाँ फफोले बन कर ,
कभी फूल पर चलते हुए भी कांटे चुभ गए
मेरे नंगे पैर को लहू लुहान कर गए ....
कभी कड़ी धुपमें पिघले डामरकी सड़क भी
बर्फसी ठंडक देकर कप कपा गई ......
तेरी हर तासीर पर दिल लुभाता गया हर मंज़र ,
बस फ़िर भी ये इल्तजा है
मेरी जिंदगीके बाद भी तू यूँही जिन्दा रहेना ......

5 टिप्‍पणियां:

  1. तेरी हर तासीर पर दिल लुभाता गया हर मंज़र ,
    बस फ़िर भी ये इल्तजा है
    मेरी जिंदगीके बाद भी तू यूँही जिन्दा रहेना ...

    भावों से भरी कविता.

    जवाब देंहटाएं
  2. मेरी जिंदगीके बाद भी तू यूँही जिन्दा रहेना ....
    खुबसुरत अन्दाज जिन्दगी का।

    जवाब देंहटाएं
  3. जिंदगी के बहुतेरे रंग ला खड़े किये अपने, अछ्छा लगा

    जवाब देंहटाएं
  4. तेरी हर तासीर पर दिल लुभाता गया हर मंज़र ,
    बस फ़िर भी ये इल्तजा है
    मेरी जिंदगीके बाद भी तू यूँही जिन्दा रहेना ......

    बहुत सुंदर....!!

    जवाब देंहटाएं

विशिष्ट पोस्ट

मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!

आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...