22 अक्टूबर 2009

बस यूँही कुछ महसूस हुआ

खरोंचे और देखे मैंने खुबसूरत चेहरोंको ,

नाखून तेज नहीं थे फ़िर भी लहुलुहान हुआ मेरा दिल ,

ये खुबसूरत चेहरोंके पीछे छुपे

वो काले दिल जो दिमागी गन्दगीसे थे भरे ....

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कब कहाँ किस जगह कोई मिल जाए ,

पल भरके साथमें भी सारे जनम का सुकून दे जाए !!!!!

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शायद वो तुम ही थे कल रातमें मुझे मिले नकाबमें ,

बस जहनमें रह गई है वो आँखें तकती मुझे प्यारके इकरारमें ...

2 टिप्‍पणियां:

  1. कब कहाँ किस जगह कोई मिल जाए ,

    पल भरके साथमें भी सारे जनम का सुकून दे जाए !!!!!
    sundar bhaav

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  2. नाखून तेज नहीं थे फ़िर भी लहुलुहान हुआ मेरा दिल ,

    ये खुबसूरत चेहरोंके पीछे छुपे

    वो काले दिल जो दिमागी गन्दगीसे थे भरे ....
    wah kya baat ...bahut hi chotwe sabdo mein bahut hi gahri baat wah preetiji ...wah

    जवाब देंहटाएं

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