जश्न बहारोंका
फिजा आई मेहमान बन .....
दो पल रुकी ,
तोहफा दिया मैंने एक हरे पत्ते का .....
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शोर भरे गलियारेमें
खामोशी चलती है अजनबी बनकर ......
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तुम तक पहुँचनेकी चाहत
जकडे कदम जंजीरसे फ़िर भी .....
शोर भरे गलियारेमें
जवाब देंहटाएंखामोशी चलती है अजनबी बनकर
waah kya baat hai,bahut khub
शोर भरे गलियारेमें
जवाब देंहटाएंखामोशी चलती है अजनबी बनकर ......
bahut badhiya prastuti......gahan anubhuti
चाहत का संवेदनशील दस्तावेज
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