6 अक्टूबर 2009

इल्तजा

चलो रोक लो आज बहते वक्त को ,

रोक लो ये भागती जिंदगी को ,

रोक लो ये हांफती साँसों को ,

बस थोड़ा सुस्ताकर फ़िर चलते है .....

ये तेल जो कम हो रहा है दिए का ,

उसमे फ़िर थोड़ा सा तेल डालो खुशी का ,

आज वो दिली मुस्कराहट छुपायी है ,

अलमारीके चाबी वाले लोकरमें निकाल लो ,

आज तुम्हे जो भी मिले उसे बाँट लो वो हँसी ,

देखो दीवाली के आने से पहले

आलम खुशगवार कर दोगे ......

ये इल्तजा है मेरी ,

क्या आप उसे पुरा कर दोगे ??

4 टिप्‍पणियां:

  1. रोक लो ये हांफती साँसों को ,

    बस थोड़ा सुस्ताकर फ़िर चलते है .....

    ये तेल जो कम हो रहा है दिए का ,

    उसमे फ़िर थोड़ा सा तेल डालो खुशी का
    aare waah ye khushi ka deep yuhi timtimata ahe hamae aur aapke hothon par uskan banke,sunder rachana.

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