18 सितंबर 2009

एक शाम तेरी याद के नाम

मुझे मेरी तन्हाइयों का गम नहीं

गुजरे हुए लम्होंने कभी तनहा ना छोडा मुझे ....

कभी हंसती हुई कभी शरमाती हुई ,

कभी कुछ नाराज़सी कभी सिसकियोंसे सिली हुई ,

यादोंकी बारिश ये रिमज़िम सावनसी भिगो जाती मुझे ,

गर्म सहराकी धुपसी यादें पसीनोंसे तर कर जाती मुझे .......

यादोंके भी कुछ तिलस्मी राग होते है ,अंदाज़ होते है ,

कभी आतिशके शरारे होते है,जो हम जलाकर राख करती है .....

जब तुम्हारी याद मेरी निगाहोंको नम करती है ,

तब तुम्हे भी हिचकियाँ आती तो होगी ,

तुम्हें भी मेरी तरह डूबती शामके रंगोंकी फिजामें

एक तस्वीर नज़र आती तो होगी ..........

हथेली पर सरकता वक्त जैसे फिसलता था रेशमी रेत सा लगा ,

देखो खाली हो गए ये मेरे हाथ ,

पर मेरे दामन पर याद बनकर अनगिनत किस्से बिखरे है ............

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