जिक्र छिड़ता है महफ़िलमें हुस्नका ,
लब पर सिर्फ़ आपका नाम आता है ,
रंगोंकी महफ़िल गर सज जाए
तो चिलमनमें छुपा आपका चेहरा याद आता है .....
तनहाई का आलम हो तो करीब पाते है आपको ,
भरी महफ़िलमें सिर्फ़ आपका इंतज़ार रहता है .....
कभी फुरकत होती है कभी बेपनाह मशरुफी ,
क्या याद होती है क्या नींद होती है ,
साँसे जब चलती है बस उसे भी आपके दीदारसे आराम आता है ....
दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं .....
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
28 सितंबर 2009
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