तेरे इंतज़ारमें मेरा दिन निकलता है ,
तू ना आए तो वक्त ही नहीं कटता है ,
तुझे मिलकर जैसे सारी खिड़की खुलती है ,
क्या समजे आप मैं तो अखबारके लिए ये कहती हूँ .....
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एक बक्सेमें हर दम सदायें आती है ,
संगीत के सूर सजाती है और मन को बहलाती है ,
बटन से ओन ऑफ़ हो सकती है बस इसीमे काम आती है ,
जो मेरी हरदम नॉन स्टाप बीवीकी याद दिलाती है .....
और कभी ये गलती भी हो जाती है ,
ये बिना हड्डी की जबान बीवी को रेडियो का नाम दे जाती है ....
बहुत ही ख़ूबसूरत रचना...
जवाब देंहटाएंबढ़िया हैं
जवाब देंहटाएंतुझे मिलकर जैसे सारी खिड़की खुलती है ,
जवाब देंहटाएंक्या समजे आप मैं तो अखबारके लिए ये कहती हूँ .....
ha ha waah mast maza aagaya:)