मुझे एक बार बांसुरी बन जाना है .....
बांसके खोखले भीतर को सूरोंसे भर जाना है ....
अपने जिस्मको छेदकर अपनी हयातको सुरमई बनाना है ......
आज मुझे बांसुरी बन जाना है .....
कान्हा तेरे होठोंसे लगकर तेरे ही गीत बनकर बह जाना है ....
राधाको रिझाना है ,गोपियोंको खिजाना है ....
दूर चली गयी है वो गौ सब उसे वापस बुलाना है ....
आज मुझे बांसुरी बनकर ही रहने दो ....
सारी कायनात को सूरोंसे भर लेने दो ....
रासलीलामें फिर मगन हो जाने दो ...
मीराके कटोरेसे विषपान कर लेने दो .....
अर्जुन के सारथि बन जीवन युध्ध जितने दो ....
लो अब मैं बांसुरी ही बन गयी ....
राधासे बिरह हुआ ,मीरा भी दीवानी हो गयी ...
बाललीलासे महाभारत तक ........
हर लोग कान्हा तुजसे मिलते रहे बिछड़ते रहे .....
एक मैं ही तो हूँ जो तेरे संग ही रही ..........
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ...जय श्रीकृष्ण !!
जवाब देंहटाएंwaah waah..........krishna prem mein doobi rachna hai.
जवाब देंहटाएंjanmashtmi ki hardik shubhkamnyein.