तेरी बांसूरीके सूरमें कैद है ये बाला,
आज उसे ये कैदसे छुडाने फिर मथुराकी कैदमें आजा,
रुठी यशोदा बेताब है तुम्हे लोरी सुनाने ,
झूठी डांट लगाने,घर घरमें फिर मक्खन चुराने आजा.....
गोपियोंकी मक्खनभरी मटकियां राह तके तेरी,
उसे कंकरी मारके तोडने फिर आजा......
प्रेमदिवानी एक मीराके हाथमें है विषप्याला,
उसे जीवनदानका वरदान देने आजा............
द्रौपदी पुकारे कौरवोंकी सभामें तुम्हें आज भी,
उसके चीर पूरने फिर आज आजा.....
इस कलिकालमें अर्जुन निराश होकर बैठ गया संग्राम छोडकर,
फिर उसे श्रीमद भागवत गीताका गान सुनाने आजा......
राधाका प्यार बिसरा न सके हम कभी ,
उस दास्तांको अमरत्व देने आज एक बार फिर धरती पर आजा............
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!
आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...

-
रात आकर मरहम लगाती, फिर भी सुबह धरती जलन से कराहती , पानी भी उबलता मटके में ये धरती क्यों रोती दिनमें ??? मानव रोता , पंछी रोते, रोते प्...
-
खिड़की से झांका तो गीली सड़क नजर आई , बादलकी कालिमा थोड़ी सी कम नजर आई। गौरसे देखा उस बड़े दरख़्त को आईना बनाकर, कोमल शिशुसी बूंदों की बौछा...
bahut sunder rachna.
जवाब देंहटाएंkripya swapnyogesh.blogspot.com par isse milti julti rachna padhen.
बहुत सुंदर रचना ,
जवाब देंहटाएंद्रौपदी पुकारे कौरवोंकी सभामें तुम्हें आज भी,
उसके चीर पूरने फिर आज आजा.....
पर एक कंस नहीं , कंसों की सेना को मारने के लिए कृष्ण को धरा पर आना सबसे जरूरी है .. जन्माष्टमी और स्वतंत्रता दिवस की आपको बहुत बहुत बधाई !!
आप की रचना बहुत अच्छी लगी....बहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएं