8 अगस्त 2009

सिर्फ़ तुम ....!!!

तेरे साथ जीना नहीं ये तय कर लिया ,

लो हमने तुम्हारा शहर भी छोड़ दिया ,

दूर तेरे शहरसे जाकर एक नया घर बना लिया ,

हाथ हम भी किसी और का थाम ले ये दिल हुआ ,

पर ये हो न सका ,

पर ये हो ना सका क्योंकि

दूर तो गया हमारा जिस्म ,दूर बसा हमारा जिस्म ,

पर हमारी रूह तो तुम्हारे पास रह गई ,

तुमने तो भुला दिया हमें इस कदर पर

फ़िर भी तुम्हे ख्वाबमें मिलने की आस रह गई .....

तुम्हारी बेवफाई पर कसीदे पढने भी चाहे ,

कागज़ दवात तैयार भी कर लिए ,

पर हम लिख न पाए ,

पर हम ये लिख ना पाए कलमसे ...

क्योंकि हमसे बेवफाई हो न सकी ........

1 टिप्पणी:

  1. पर हम लिख न पाए ,

    पर हम ये लिख ना पाए कलमसे ...

    क्योंकि हमसे बेवफाई हो न सकी ........
    wahi baat hai,ishq mein dua hi nikli tere liye bewafa.bahutgehre jazbat,sunder.

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