15 जुलाई 2009

महफिल

आपको मुबारक हो महफिलें

हमें हमारी तन्हाई मुबारक हो ...

किस जुबांसे करें बयां कि साथ क्यों छुटा ?

पूछा होता तो बता देते पंख कट गए है हमारे ....

=================================

एक लंबा सफर तय किया था

एक लम्बी गुमनामी को झेला था

अब मंजिल सामने है खड़ी मेरे

तब क्यों ये लग रहा कि राह थी ग़लत चुनी ?

================================

बड़े हलके फुल्केसे लग रहे थे रुई से

आज मैंने बादलको निचोड़ कर देखा

उसकी ऊँची उड़ानके राज़ को जाना

ढूँढता था महबूबाको और आंसू थे भरे भरे ....

3 टिप्‍पणियां:

  1. किस जुबांसे करें बयां कि साथ क्यों छुटा ?

    पूछा होता तो बता देते पंख कट गए है हमारे ....

    kuch beete dardke saaye ubhar ke aagaye,sunder tino bhi bahut sunder.

    जवाब देंहटाएं

विशिष्ट पोस्ट

मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!

आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...