तराशे थे जिंदगीके संगमरमरी ख्वाबोंमें तकदीरों के दायरे ,
जिंदगीके हर रंग लग रहे थे तब प्यारे हमें बड़े दिलकश भी थे ,
किसीके आने का इंतज़ार कर रहे थे हम एक नुक्कड़ कर ,
इसे तक़दीर कहें या एक टुटा ख्वाबों का मंज़र ? सामने से तुम्हारी डोली गुजर रही थी .....
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बस एक बहाना ढूंढ लिया मैंने इस जिंदगी को जीने के लिए ,
एक मुस्कराहट का पता पूछ लिया उस फूलसे ,तितली से ,
बहते झरनोंसे मुझे कुछ संगीत मिला गया ,और अधूरे फ़साने को
कुक रही कोयलसे एक नया गीत भी मिल गया .....
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sundar rachna..........takdeer se jo mil jaye sabra karna hi padta hai.
जवाब देंहटाएंmeri nayi rachnayein bhi padhiyega.
rochak
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