बस आज ये तय कर लिया हमने ,न सोचेंगे आज आपके बारेमें अब ,
ये दिल पर काबू नहीं हमारा इसी लिए उसे उसने सिर्फ़ आपको ही सोचा ...
खतावार ये ऐसा है फ़िर भी इसकी सज़ा न तय कर पाए कभी ,
इसकी नाफ़रमानी की गुस्ताखी हंसकर सहना भी सिख लिया है अब .......
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आज दिल में इतना दर्द क्यों हो रहा है ???
कुछ टुटा हो ऐसा क्यों लग रहा है ???
तब जाकर पता चला हमें इश्कका बुखार चढा था जो ,
आपके चप्पल पड़े जब तो ये उतरने लगा है .....
बस आज ये तय कर लिया हमने ,न सोचेंगे आज आपके बारेमें अब ,
जवाब देंहटाएंये दिल पर काबू नहीं हमारा इसी लिए उसे उसने सिर्फ़ आपको ही सोचा ...achha likha...