दिलसे कुछ आहट आई ,
अरमानोने ली भली सी अंगडाई ,
उठती हुए खयालोंने शब्दकी एक शमा जलाई ,
और देखो उससे उठती लौने तेरी तस्वीर बनाई .............
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आँखोंसे बहा ये काजल गालों पर यूँ बिखरा ,
जैसे एक लटमें सिमटी काली सी रात चाँद पर निखर गई ......
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तेरे हुस्न को लब्जोंमें कैसे कैद करें हम ?
हर कैदसे आजाद सी खुशबू बन बहती है सबामें ..........
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हरदम शिकायत करते हो नींद नहीं आती ,
यादोंको समेटकर दामनमें नींदमें ही आप जगा करते हो .............
Waah !!! Bahut hee sundar bhaavpoorn rachna..
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