आपके हाथोमें मैंने अपनी तक़दीरको पढ़ा ,
आंखोंमें देखी आपकी किसी और की थी तस्वीर ......
आपके ख़यालमें कुछ ये आलम था
अकेलेमें हम मुस्कुरा रहे थे .......
आपसे मिलकर क्या बातें करूँ ?
खयालोंमें कितनी गुफ्तगू कर चुके है आपसे ??!!
न कोई वजह है ,न मंजिल की तलाश
क्यों फ़िर बाँध जाती है आपसे मिलने की आस ???
न मिल पाएंगे अब कभी किसी मोड़ पर
तय था ये फ़िर भी इस पल में क्यों जीना चाहा ??
उम्रभरका साथ तो न मांग सके हम
बस इस पलमें पूरी उम्रको जिन्दा कर लिया .......
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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बहुत खूब कहा है आपने।
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तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
उम्रभरका साथ तो न मांग सके हम
जवाब देंहटाएंबस इस पलमें पूरी उम्रको जिन्दा कर लिया
waah preeti ji aaj to dil ke kareeb utar di aapne rachana,behad sunder ,bhav bhari.
bahut sundar panktiyaan hain, likhte rahein.
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