3 अप्रैल 2009

इमली खट्टी मीठे बेर ...

आ चलो आज हरे भरे खेतमें
वहां जो घना सा नीमका पेड़ है
उसकी नर्म ठंडी छाँवमें बिछी खटियामें
बैठकर जरा खट्टे मीठे बेर और इमली खाते है ....

इसकी डाली पर बंधे झूले पर
अपने बचपनको जरा जरा झुलाते है
देखो दुपट्टेकी गांठमें बांधकर एक डिबिया छुपायी है
जरा मोती,वो पुराने गिट्टे और माँकी माला लायी हूँ .......

आज जरा सा बहक लेते है ,
चलो थोडा चिडियाके साथ चहक लेते है
फिर छोटी सी बात पर यूँही जरा रूठ लेते है
फिर आंखमिचोली खेलकर तुम्हे मना भी लेते है .......

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