रास नहीं आती पतझड़को बहार कभी कभी ,
दिल को टूटकर बिखरना है तेरी राहमें अभी अभी ,
बुलाने पर मेरे तुम दौडे आए हो जब भी जब भी ,
पर आज दिल अपना छोड़कर जाओ मेरे पास आज और अभी अभी ........
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कुछ सिलवटोंकी तह मत खोलो ,
कुछ जज्बातोंको दिलकी कैद से आझाद करने की चेष्टा मत करो ,
कुछ खयालोको सुलझानेकी कोशिश मत करो ,
कुछ ख्वाबोंकी ताबीरकी ख्वाहिश न करो ,
ये सिलवटें हमारी अमानत है,
दुनियासे छुपकर बैठी ख़ुदसे ख़ुद की पहचान है .........
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थिरकती है साँस कभी बुलबुलोंसी ,
महकती है आस कभी खुश्बुओंसी ,
दहकती है प्यास कभी शोलोंसी ,
बहकती है मय खाली पैमानोंमें भी कभी कभी .....
आस जब साँसमें कुछ ऐसे घुलती है जो ......
दहकती है मय फ़िर भी वह बहकती प्यास बुझाती है ......
आस जब साँसमें कुछ ऐसे घुलती है जो ......
जवाब देंहटाएंदहकती है मय फ़िर भी वह बहकती प्यास बुझाती
bahut badhiya
अति सुंदर...भावपूर्ण रचनाएँ...
जवाब देंहटाएंनीरज
बहुत सुंदर भाव युक्त रचना.....अच्छा लगा पढकर।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा प्रयास है , बहुत सुंदर !!
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं........