पहली सांससे आखरी सांसका सफर है ये जिंदगी ,
कभी महक फूलोंकी बनकर सांसमें समाती है ....
कभी आसमांकी भीगी बूंदोंसे ये सांस नहाती है ...
कभी जाडेके मौसममें रजाई ओढ़कर ये सांस सो जाती है ...
कभी गर्म धूपकी तपीशमें कड़कती धूपमें ये सांस पिघल जाती है .....
कभी किसी एक खास मौसममें ये सांस किसीका प्यार का संदेशा लाती है ....
कभी खयालोंमें किसीको बुलाकर ये सांस बहक जाती है .........
आसमां ये सारा अमानत है मेरी ये बात सबको ये सांस बताती है ...
कभी किसी गैर को मिलकर अपनापन ये सांस जताती है .....
जब थक जाती है ,पक जाती है तब ये सांस रुक जाती है ....
ये पूरा सफर है जिंदगीका जिसे ये सांस बनाती है .........
bahut khoob
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