प्यारकी बसंत बहारमें एक दिलकश मंझर पर ये दिल खड़ा है ...
सामने गुलिस्तान खिला है ,बाहर लिखा है अंदर आना मना है ......
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शर्तों पर किया गया था ये प्यार एक बार ,
उन शर्तोंने ही तोडा था मेरा दिल बार बार ,
माँगा था ,चाहा था उनकी वफ़ा को हरदम ,
पर दे न सके हम प्यार का लम्हा एक बार .........
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ये हाथ में है एक लाल गुलाब ,
ये आंखोंमें है किसीका इंतज़ार ,
ये राह जा रही है उनके घर तक ,
ये लबोकी चाहत है कर दूँ आज प्यार का इज़हार .......
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प्यार का मौसम आया है तो
एक प्यारी सी गुस्ताखी हमें भी करने दो ...
तनहा खड़े रह कर एक दरख्तकी छाँवमें ,
निगाहोंसे हमें उनको प्यार करने दो ........
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आज तुम्हे मैं क्या नाम दे दूँ ?
कह दूँ ये दोस्ती है या इसे प्यार का नाम दे दूँ ?
कशमकशमें दिल उलज कर रह जाता है ,
चाहत है कदमोंमें आपके आज मेरा ये दिल रख दूँ ........
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ये हाथ में है एक लाल गुलाब ,
जवाब देंहटाएंये आंखोंमें है किसीका इंतज़ार ,
ये राह जा रही है उनके घर तक ,
ये लबोकी चाहत है कर दूँ आज प्यार का इज़हार .......
gehre bhav,ijhaar ho hi jaye ab,phir ye rumani hawaye aayena aaye,har sher lajawaab.
अति सुन्दर कविताएँ
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गुलाबी कोंपलें