मेरी खामोश निगाहों को जो पढ़ लेते तो तुम्हारे दिल में ये ख्याल ही न आता ,
तुम किसी ओर के न होते ,गर तुम्हे अपने दिल पर ही पूरा ऐतबार होता .......
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इश्क में तो काम कर जाती है ये कातिल नज़रों की जुबान ,
लब यहाँ खामोश ही हो जाते है ,
ज़ुकती है निगाहें तुम्हारा तसव्वुर हो जाने पर ,
तुम्हारी फुर्कत में बहे हुए आंसू हाले दिल बयाँ कर जाते है ।
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जिन्दगी की दास्ताँ भी कुछ अजीब है ,
वोही हमसे दूर है जो हमारे करीब है ,
सारी दुनिया से जीत के भी अपनों से हार जाते है ...
क्योंकि हम दिलसे मजबूर है,उसके आगे जूक जाते है ,
आखरी फ़ैसला रहता है यही हम हारकर भी जीत जाते है ....
प्यारसे भरी इस कश्मकशको मुकाबला तुम न समजो,
हम चाहे ग़ैर क्यों न हों तुम हमें चाहो तो हमें अपना समजो
bahut khub
जवाब देंहटाएंachchi rachna he aapki
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