10 फ़रवरी 2009

और ऐसा मकाम था .........



एक रात थी ,एक चाँद था ,

वो साथ था और मैं अकेली रह गई ....


एक इब्तदा थी ,एक मकाम था ,

चलने की ख्वाहिश थी और मैं रुक गई ...


एक आरजू थी ,एक कशिश थी ,

हसरतोंकी शमा जली और मैंने आँख मूँद ली ......


एक चाहत थी ,एक आस थी ,एक प्यास थी ,

करीब हमारे उल्फत थी पर मेरे लिए नायाब क्यों हो गई ???????

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