जिक्र हुआ जब रिश्तोंका, हमें रिश्तोंकी वह भीड याद आ गयी,
भरी हुई महेफिलमें कहकहे थे जिंदगीके, तब हमें अपनी तनहाई याद आ गई,
उम्मीदें नजर आयी हमारी तरफ उठी हर नजरमें हमसे ,
कहीं कभी बढे हमारे उम्मीदोंसे कभी तो हमसे छुडाई हर उंगली याद आ गई.......
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न उम्मीद किसीसे करो, दिल टूटनेकी वजह ही न रहेगी,
अनजान हो जब राहें आपकी, गुम होनेकी वजह भी वह सह लेगी....
तब अगर एक अनजान हाथ बढे, आपके सामने बस पलभरके लिये ही सही,
थाम लो उसे हंसकर उस पल, शायद वही पल जिंदगी जीनेकी वजह बन जाये...........
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