अंदाजे बयां कुछ अलग ही रहा अपना ,
स्याही लहराती रही है सुर्ख कागज़ पर ,
हँसी लहराती रही है इन लबों पर ,
खुशी और गम को जब एक ladi me पिरोया हमने ....
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जख्मों को देने से ये दुनिया कभी बाज नहीं आएगी ,
रो दोगे तुम जितना उतनी ही हँसे जायेगी तुम पर ,
बस एक बार सिख लोगे मुस्कुराना मेरे साथ ,
फ़िर दोबारा रुलाने वो कभी नहीं आएगी .....
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छलकती खुशियोंका लब्जों से इज़हार न कर पाये ,
लब खामोश ही रहे पर ये निगाहें बोल पड़ी ,
नजर से नजर कुछ यूँही मिली पल भर तो ,
हया से झुकी पलकोंकी ताबीर मेरे दिलमे तस्वीर बनकर रह गई ....
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bahut lajawab khas kar 2nd.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा आपका अंदाजे बयां
जवाब देंहटाएंजख्मों को देने से ये दुनिया कभी बाज नहीं आएगी ,
जवाब देंहटाएंसुंदर पंक्तियाँ. आभार.
अच्छा लगा आपका अंदाजे बयां...आभार.
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