जिन्दगी की पहली साँस ढूँढती है जिन्दगी भर जिसे ,
और अन्तिम साँस पर मिलनेवाली उस महबूबा का नाम है मौत...
जीवमात्रकी धरती पर आने की रीत भले हो एक ,
मौत को गले लगानेके नुसखे है अनेक .......
बंद पड़ता है दिल किसीका या कभी दिल का दौरा बनके आती है ,
कोई खींचता है जिन्दगीकी रस्सी सौ साल कभी भरी जवानी में मौत आती है ......
किसीको खुद भगवानही देता है तो कोई अपनेको ही मिटाता है ,
ज़हर लेता है कोई तो कोई रस्सीके फंदे से लटक जाता है .......
कोई पटरी पर सोता है तो कोई जल की जगह अग्नि से स्नान करता है ,
अरे यह लोग तो मिटाते है अपने आपको ही न ?
कमी नहीं यहाँ उन लोगोकी जो दूसरों की ही जिन्दगी मिटाते है..
कोई सुपारी लेता है तो कोई चाक़ू छुरी पिस्तौल चलाता है ,
कोई rocket लौचरोंसे अनजानो की जान लेने पर बन आता है ......
उन वहशी दरिन्दो का एक दो से पेट नहीं भरता ,
वे तो सैकड़ों की जिन्दगी तबाह कर जाते है .....
बिगड़ी हुई ब्रेकवाले पहिये किसीके दुलारे को कुचल डालते है ,
दहेज़भूखी समाजकी तासीर किसीको दुलारीको जिंदा जलाती है......
यह समाज यहीं नहीं रुकता ,बढती आबादी के नाम पर अब ,
स्त्री भ्रूण हत्या भी सरे आम की जाती है ......
जिंदा लोगोंकी जरा फितरत तो देखिये,
दूसरों की मौत पर मिली छुटी मनाते है ,
दुर्घटना की लिस्ट में कंही नाम न हो अपनों का यह दुआ मांगते है
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जिंदगी तुमको जिन्दगी ही समजा हमने और तहे दिल से जीते रहे ,
हर मुश्किलों को धुंए में उड़ाकर चलते रहे ......
खौफ हमें मौत का रहा नहीं कभी क्योकि ,
हक़ीकत यह जिन्दगीकी हम गले लगाकर चलते रहे.....
नियामत है यह जिन्दगी जिसकी वह नाखुदा की इबादत करते है ,
अय जिन्दगी तुम्हे मुश्किलों में भी जिया करते हैं .....
उफ़ न करेंगे जब मुश्किलों से होगा सामना मेरा ,
तुम्हारा दिया ये तोहफा हम प्यार से कुबूल करते हैं .....
बहुत अच्छा िलखा है आपने । बधाई । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है- आत्मविश्वास के सहारे जीतें जिंदगी की जंग-समय हो पढें और कमेंट भी दें-
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