जिंदगी : जियो हर पल

जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....

18 अक्टूबर 2010

वक्त .....

उस टूटे हुए खंडहरकी टूटी दीवारों पर
कुछ कुरेद कर देखा
अनकही दास्तानोंकी किताबें थी ,
पढ़ते पढ़ते रात गुजर रही ,
ना उजाला था ना शमाकी ज्योत ,
सोचा अँधेरे को पढने अँधेरे को ही रौशनी बना लेते है ....
कान में फुसफुसा कर बीते सुनहरे पलोंको उजागर करती रही ,
ख़ामोशीसे अश्क भी बहते रहे उसकी दरारोंसे ,
कही अनकही हर दास्ताँने कहा
यहाँ कायम कुछ नहीं वक्त के सिवा ...
वक्त आता है वक्त जाता है
हर लम्हे पर अपना निशाँ बनाते चला जाता है .....

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1 टिप्पणियाँ:

Blogger Anamikaghatak ने कहा…

badhiya prastuti

18 अक्टूबर 2010 को 5:25 pm बजे  

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