मन पंख लगाकर उड़ चला कहीं दूर ,
अब जिस्म क्या करेगा तनहा यूँ जीकर ?????
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कभी आंसू की बूंद को सूरज की किरणके सामने उंगली पर रख देखा है ?
उसने भी एक मेघ धनुष्य छुपा रखा है अपने अन्दर .....
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आज उल्ज़ी उल्ज़ीसी जुल्फोंको सुल्ज़ा रही थी वो खिड़कीमें आकर
और दूर एक ख्याल बैठा बैठा मुस्कुरा रहा था मेरे होठो पर ...
जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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बहुत बढ़िया!!
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