13 अक्तूबर 2010

चाँद भी ना !!!

कल चाँदने सिफारिश की तुम्हारी मुझसे
कहा ये लो थोड़े सितारे और लिख दो ग़ज़ल
मुझे कागज़ बना लो लिख दो मुझ पर एक पैगाम ,
महबूबा पढ़ लेगी जिसने तुम्हारे इंतज़ारमें आँखें बिछा दी है ......

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