9 अप्रैल 2010

एक नयी दुनिया

टूटे दिलके टुकड़े समेट रहे थे हम

किरचोंने हाथ में लहू की मेंहदी रचा दी ...

जैसे एक अधूरी दुल्हनके अरमान हो सिसक रहे ...

बस वो तुम्हारा आना हुआ ...

शादीके जोड़ेमें ही हमारे पास ...

सारी दुनियाके हर बंधन तोड़कर

हमारे साथ एक नयी दुनिया बसानेकी हसरत लिए ....

वो टपकता लहू उसकी मांगमें ऐसे समाया

जैसे एक सुहागनकी मांग सजी सिन्दुरसे .....

1 टिप्पणी:

विशिष्ट पोस्ट

मैं यशोमी हूँ बस यशोमी ...!!!!!

आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...