मैं राधा हूँ या मीरा
ये नहीं मालूम मुझे ...
मैं तो जान पाई बस इतना ही
मेरे आराध्य तो बस कृष्ण ही ..........
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मिलन या विरह मायने नहीं रखे कभी मेरे लिए ,
मिलने की यादें बिरहमें बहला गयी मुझे वैसे ही
जैसे तुम मेरे पास ही हो ......
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कहाँ जान पाए हम प्यार का मतलब ....
मिलने पर जान नहीं पाए कुछ भी
जुदाईने भी रुला दिया ...
बस देख लेते एक पल की हम तो दिल में रहे थे हरदम
तो ये गिले शिकवे होते कहाँ ?????
सवालों से मुठभेड़ करता वर्णन।
जवाब देंहटाएंप्यार, मिलन और विरह का सुन्दर चित्रण।
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