एक मुद्दत के बाद हम इस महफ़िलमें तशरीफ़ लाये है ...
महफ़िलमें इंतज़ारमें पिघल रही शम्मा को पाए है ...
इन मुरज़ाई कलीकी दास्तान भी हश्र हिजर का बयां कर जाती है ....
शायद इनकार कर दिया होगा उसने कुर्बतके समांमें खिलने से .....
आज इस मुरजाए चमनको फिर खिलाने की कोशिश कर ली जाए ....
अपने कलमके स्पर्शकी ताज़गीसे उसे फिर नहलाना है .....
अपने कलमके स्पर्शकी ताज़गीसे उसे फिर नहलाना है .....
जवाब देंहटाएंwow !!!!!!!!!!!
bahut acha
http://kavyawani.blogspot.com/
shekhar kumawat