यादोंमें कैद बुलबुलके गाने
तरस गये उसके बोल को ...
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सतरंग चुनर यादोंकी
मैलीसी लागे जब दर्द की कसक जागे ...
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हर फूल खिल जाए मनके आँगन
जब कोई मेरी यादोंमें मुस्कुरा जाए हौले से ....
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बचपन फिर यादों के झरोखोंमें
मीठी मुस्कान बिखेर रहा पाया
एक झूले पर झूलते हुए हमने ...
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इश्क अभी भी ताज़ा महक लिए सहेज रखा है ,
मजबूर सही दूरीसे पर दूर नहीं तुम इस दिलसे ....
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जिंदगी मेरे लिए ख्वाबोंके बादल पर उड़नेवाली परी है .!! जो हर पल को जोड़ते हुए बनती है, और उन हर पलोंमें छुपी एक जिंदगी होती है ....
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विशिष्ट पोस्ट
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आज एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करने जा रही हूँ जो लिखना मेरे लिए अपने आपको ही चेलेंज बन गया था । चाह कर के भी मैं एक रोमांटिक कहानी लिख नहीं पायी ...

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इश्क अभी भी ताज़ा महक लिए सहेज रखा है ,
जवाब देंहटाएंमजबूर सही दूरीसे पर दूर नहीं तुम इस दिलसे ....
''bahut sundar
http://kavyawani.blogspot.com/
shekhar kumawat
बचपन फिर यादों के झरोखोंमें
जवाब देंहटाएंमीठी मुस्कान बिखेर रहा पाया
एक झूले पर झूलते हुए हमने ..
बचपन के यादो का अपना अन्दाज होता है ।