ये मोमबत्ती क्यों ?
तेल के दिए जलाये नहीं ?
माँ ,ये मोमबत्ती खरीदी तो किसीके वहां एक पकवान बनेगा ,
ये दिए का तेल सामनेवाले मजदूर को दिया पुडी बनानेको.........
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ये पटाखोंकी गूंजमें मुझे एक मुस्कानकी आहट सुननी थी ,
मेरी फुलजडी मैंने वो बच्चे को दी तेजमें नहाने को .....
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आज मेरी कामवालीकी नन्ही बेटी और मेरी बेटीने साथ बैठ खाए पकवान ,
उसके दिलमें खुशी थी और मेरे दिलमें सुकून ,हम लाये एक चेहरे पर मुस्कान ....
sundar bhaav
जवाब देंहटाएंख़ुदा तो मिलता है, इंसान ही नहीं मिलता,
जवाब देंहटाएंये चीज़ वो है, जो देखी कहीं कहीं मैंने।
आपके ब्लॉग के नाम को चरितार्थ करती रचना ... जिन्दगी जियो हर पल।