5 अक्तूबर 2009

बिखरना है मुझे एक बार फ़िर


आँख बंद की तेरे दीदार को ,

छूकर निकल गया वह भी तनहा छोड़ ....

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शब्द बांधे कुछ

तुम तो सब अल्फाज़से परे नजर आए ....

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धड़कन बनाकर रखा

दिल बस तुम्हे सुनता रहा ....

मेरी सदायें भूल गया ....

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