21 जनवरी 2012

राहबर ...

रेखा खूब मायूस होकर बैठी थी अपनी खिड़की पर ....सिर्फ एक गुण के लिए उसकी मनपसंद मेडिकल लाइनमें उसका दाखिला नहीं हो पाया ..बेहतर तो ये होगा की जिस संस्थामें वो दाखिला लेना चाहती थी उस संस्थामें नहीं हो पाया ....उसे घरमे सभीने समजाया पर वो गुमसुम खिड़कीके बहार सड़कको तकती बैठी रही ..ऐसे दो दिन बीत गए ....
तब उसके सामने के फ्लेट वाली एक नन्ही सी लड़की बगीचेमें खेलती हुई दिखी ...वो देख रही थी एक टूटे हुए फूलको वो फिरसे टहनी पर लगानेकी कोशिश में है ...वो भी गुलाबके फूल को गैंदेके पौधे पर ..उसे पहली बार हंसी आई ...वो उन लम्होमे भूल गयी की वो ग़मोंसे घिरी हुई है ...वो नीचे गयी ...उसने उस बच्चीको पूछा की वो ऐसा क्यों कर रही है ???? तब उसने बहुत मासूमियतसे कहा ...ये फूल टूट गया है ..तो फेविकोलसे उसे चिपकाना है तो फिर उसे डालीसे चिपका दूंगी तो ये जिन्दा हो पायेगा ..उसे खाद और पानी मिलेगा ....तब रेखाने उसे सब समजाया की ऐसा नहीं हो सकता .....उस बच्ची का नाम राही था ..वो उसे जबरदस्ती अपने घर ले गयी ...रेखा की माँ इन सब पर नज़र रखे थी ...उसे थोडा अच्छा लगा की रेखा बहार निकली ...
बच्ची ने अपनी चित्रकी किताब निकाली....उसने अपने सारे चित्र उसे दिखाए ......उसकी माँ को कहा राही बहुत ही प्रतिभाशाली है ..उसे आप कोई अच्छी संस्थामें क्यों नहीं चित्र सिखने भेजते ?????
राही की माँ बहुत ही समजदार थी ...उसने जवाब दिया : बेटे, मुझे पता है ..पर ये कला तो इंसानके भीतर होती है ...उसे कोई व्यक्ति या संस्थाके जरिए बहार नहीं ला जा सकता ..सिर्फ उसको परखने और प्रेरणा की जरुरत होती है ....और ये प्रकृतिसे अच्छा शिक्षक कौन हो सकता है ...मैं अक्सर राही को लेकर कोई सड़क के किनारे या कोई बगीचे या कोई जगह पर लेकर जाती हूँ ..वो जो भी कुछ देखती है घर आकर उसे केनवास पर उतारती है ....मैं उसे कोई नापतोल पर बांधना ही नहीं चाहती ....
रेखा ने कहा : ये भी ठीक है ....फिर तो उसने राही से दोस्ती कर ली ....
रेखा घर पर आई ...उसने फिर से सोचा ...राही की माँ सच तो कह रही थी ..जो होता है वो जज्बा इंसान के भीतर होता है और उसे कहीं भी जाकर बहार ला सकते है ...उसके लिए कोई संस्था की जरुरत कहाँ होती है ???? 
इस छोटीसी घटनासे उसकी दृष्टिमें आमूल परिवर्तन आ गया ..उसने मेडिकल के पास के शहरमे एडमिशन फॉर्म भर दिया ...रेखा के माँ बाप को ये पूरी बात समज तो नहीं आई पर वो रेखा के निर्णय से खुश हो गये ........
=कहते है खुदा खुद तो नहीं आ सकता हमारी तक़दीर बनकर   ,
तब वो भेज देता है किसी फ़रिश्ते को हमारा राहबर बनाकर .......

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