12 अक्तूबर 2011

मायने तलाशती है...

कभी कभी मुक्तलिफ़सी ये जिंदगी खुदमें मायने तलाशती है ,
लगता है जैसे खुदका अधूरापन जब रास न आये 
ये खुद से ही उकता सी जाती है ...
कह देती है ...मुझे छोड़ दो इस मोड़ पर मैं किसीके इंतज़ार में हूँ ....
अरे फिर पीछे से कोई आकर मेरा नाम पुकारता है 
और खुदकी पहचान जिंदगीके नाम पर दे जाता है ...
एक अजनबी ..एक हँसता चेहरा ...
एक पल ...और फिर दूर कहीं सपनोसा खो जाता है .......
और फिर ये जिंदगी उस मायने में जीने लगती है ....

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