6 अक्तूबर 2011

बस यूँही अचानक !!!!

क्यों एक अधूरी तस्वीरसी बन जाती है जिंदगी ,
बैठे हो जब लहराती बहारोंके बीच 
फिर भी वो अचानक वो बंज़रसी नज़र आती है 
 फूलोंके कारवां के बीच ???? बस यूँही अचानक !!!!

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