आजकल धूप भी टुकड़ोमें बिखरकर मिलती है ,
जैसे वो जिंदगीकी हमशक्ल होने के दावे करती है ...
जब किसीको मिलने को दिल तड़प जाता है ,
उसे ही वो आपकी जिंदगीसे गायब कर देती है ....
शायद इसे जिंदगी का षड्यंत्र समजने की भूल हो गयी ,
एय जिंदगी तुने तो मुझे किसीके बगैर भी जीना सिखा दिया है ...
किसीका एहसान है इस जिंदगी पर उसे चुकाना जब चाहा
उसी इंसानको नहीं पाया तब किसी अनजानको मदद करके भूल गए है ....
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