ढलती सांजसे नींदसे जागती सहर तक
रात अपना दामन फैलाकर चली आती है ...
उजालोंको अपने दामनमें गहरी नींद सुलाती है
नींदका कहाँ वास्ता होता है इन गहरी काली रातोंसे ??
सपनोमें देखी हर दास्ताँ नींद रातको सुनाती है ....
और रातकी खुबसूरत चेहरेको देखने के लिए ,
चाँद सितारे रोशन होकर उसे उजागर करते है .......
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