आज शिक्षक दिवस है .....
आज मैं ये लिख सकती हूँ और आप ये पढ़ सकते है इसके लिए जिस व्यक्तिके हमें शुक्रगुजार होना चाहिए वो व्यक्ति .....
मेरी पाठशालाके प्रधानाचार्य जो एक महिला थे उनसे मुझे बहुत डर लगता था ...उनकी आभा ही कुछ इस तरह की थी ....लेकिन कहीं न कहीं उनके जितने ज्ञानी होने की आशा थी ....मेरी पहली टीचर पहली कक्षाके थे श्रीमती भारतीबेन .....मुझे क ख ग सिखाया .....लेकिन मुझे श्रीमती अनुमतिबेन आचार्य बहुत पसंद थे और आज भी है ....
पिछले माह हमारे प्रधानाचार्यश्री की ७५ वी वर्षगांठ पर अपने सारे पुराने विद्यार्थियोंको किसी भी तरह से कोंटेक्ट करके आमंत्रित किया ....लगभग दो सौ जितने विद्यार्थी उपस्थित रहे ....लगभग इकत्तीस साल के बाद उसी प्रार्थनासभा के होल में उसी माइक पर मैंने फिर सबको संबोधित किया जहांसे लगभग अंतिम छ साल तक मैं समाचार पढ़ती थी , स्पर्धामें हिस्सा लेकर गीत भजन गाती थी और वक्तृत्व स्पर्धा में सबकी तालियाँ बटोरती थी ...मेरे कुछ शिक्षक अब इस दुनियामें नहीं थे ...और कुछ थे जो बहुत ही वयस्क थे ...जो शिक्षकोंने मुझे पढाया था वो सब मेरे खड़े होते ही बोल उठे अरे ये तो प्रीति गोहिल ( मेरा शादी के पहले वाला नाम ) है ...मेरे साथ पहली कक्षा से पढ़े लगभग हम दस विद्यार्थी थे ...वो सभी मुझे तुरंत पहचान गए .......हमने अपनी यादें बांटी.......
मैं कह सकती हूँ की मेरी जिंदगी के जो सबसे अच्छे साल थे वो उस पाठशालाके आँगनमें आज भी अंकित है ....और उस वक्त ये पता नहीं था की ये वक्त दोबारा नहीं आएगा ....आज भी हम सब जब अपने सबसे खुबसूरत पलों को याद करते है तो वो सारे स्कुल से जुड़े होते है ....
और उस स्कुलको जान अगर विद्यार्थी है तो शिक्षक उसकी आत्मा है ....
आज सारे शिक्षकों को मेरी और से शिक्षक दिवस मुबारक हो ......
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें