जानकर अनजान बने यूँ इश्कको मेरे बदनाम क्यों कर जाते हो ???
हमसे नहीं मिलोगे कभी ये कहकर भी
हर रात हमारी खिड़कीसे ख्वाब बनकर
हमारे सिरहाने पर बैठ हमारी नींदे उडा जाते हो !!!!!!
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अश्ककी बरसातमें भीगा गए हमारी तक़दीरका हर सफा
बड़ी जहेमतके बाद हमने हर अश्ककी बूंदको ख़ुशीके फूलमें तबदील कर दिया .....
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हर घावको कतरा ए लहुको कैद करके कलममे
हमने एक मुस्कुराती दास्ताँको जिंदगीके कागज़ पर रंग बना बिखेर दिया .....
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तेरे सूखे हुए रुमालमें
बादलोंकी नमी को कैद कर लिया हमने .....
waah...
जवाब देंहटाएंbahut khoob...
anu
आज 21/08/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसूखे रुमाल में बादलों को कैद करना ....बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत !
जवाब देंहटाएंसाँसें हुईं बेचैन...
क्यूँ अपने देते ज़ख़्म...?
दिल भीगे, कराह उठे दर्द में....
आँखों से लहू के क़तरे बहे...
~सादर !!!