बस एक खयालकी तस्वीर बन गयी ...कैसे ???
खाली मकानकी सुनी दीवार पर टंगी हुई ....
तस्वीर बातें कर रही थी दीवारोंसे
मैंने चुपचाप ये गुफ्तगू सुनना मुनासिब समजा ....
दीवारें शिकायत कर रही थी मकानके सूनेपनसे ...
तस्वीरकी नज़र भी धुंधला गयी थी गर्दकी जमीं परतोसे ,
कहीं मकड़ीने अपने जालो से छत सजा रखी थी ...
टूटे हुए खिड़कीके उस शीशेके रस्तेसे
हवाएं भी झांकनेके लिए आ रही थी ....
बस मुठ्ठीभर रौशनीसे तस्वीरको मना रही थी .......
थककर जब रातमें वो तस्वीर सो जाती है ,
मायूस नहीं हुई दीवारें ...
वो तो सुबहके इंतज़ारमें खड़ी रह जाती है ......
wah! kya baat hai
जवाब देंहटाएंतस्वीर बातें कर रही थी दीवारोंसे
bahut khub....
वाह्…………बेहद गहन प्रस्तुति।
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