एक तनहासी सड़क
काली काली ...और थोड़ी काली हो चुकी है .....
बरसातमें नहाती हुई
ना पिघलती ना इठलाती हुई ,
बस नहा धोकर चुपचाप जगी जगी फिर भी सोई सी ....
उसमे अक्स नज़र आता है आज कल ये मकान का
ये चली हुई बिल्ली का ,भौंकते हुए कुत्ते का ,
इंसानके कदमोके निशाँ नहीं पुरे इंसान का साथ चलता अक्स उसका .....
दोनों साथ साथ एक सीधा एक उल्टा ....
एक अक्स भीगी सड़क पर साथ चलता मेरे .....
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